Sapno ki udan… Poem on Dream

फड़फड़ाने लगे वो सपने जिन्हें मेने कैद कर रखा था
सही तो नहीं , काम ये मैंने अवैध कर रखा था
नज़र उठाकर आसमां देखना किसने रोका था
अपने हुनर को नज़रंदाज़ करना खुद से धोका था
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पूछा जब आज खुद से कहा हु मैं
नज़रों ने दिखाया वो मंज़र जहाँ मेने सपना देखा था
मरा तो नहीं था पर कमजोर हो गया था
उठा कर उसे मेने अपनी आँखों में रखा और कहा
तुझे देखा था मेने आसमां में उड़ते
तेरे साथ आज मेने उसी आसमां पर कदम रखा
आज जाना मेंने जीवन तो सपनो की उड़ान है
मेने ही अपने सपनो का गला दबोच रखा था
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